मनवा थू दु:ख पासी रे ।
क्यू भूल्यो हरि नाम,
साथे कई ले जासी रे
।।टेर।।
कुटुम्ब कबीलो सुख सम्पति
धन,
यही रह जासी रे ।
निकल जायेगा हंसा,
काया काम ना आसी रे ।।1।।
दान पुण्य कर लेसी तो जग,
भलो बतासी रे ।
घोर नरक में जाय भजन बिन,
मुक्ति ना पासी रे ।।2।।
आगे पूछे धर्मराज जद,
कई बतलासी रे ।
पड़सी मुगदर मार जम घर,
कौन छुड़ासी रे ।।3।।
सतगुरू कालूराम कृपाकर,
ज्ञान बतासी रे ।
हीन जाण धानू ने सायब,
पार लगासी रे ।।4।।