साहिब तेरी क्‍या क्‍या सिफत सरांऊ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
साहिब तेरी क्‍या क्‍या सिफत सरांऊ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

साहिब तेरी क्‍या क्‍या सिफत सरांऊ sahib teri kya kya sifat sarau kudarat kahau



साहिब तेरी क्‍या क्‍या सिफत सरांऊ,

कुदरत कहाऊं बिरद बखाणु,

वर्ण किसे विरदाऊ।।टेर।।


रूप न वर्ण धरण नहीं धरिया,

प्रीया पार नहीं पांऊ।

है सर्वज्ञी सबको संगी,

रिझु कै रिझाऊं।।1।।


राम रहिम देवक दाणव,

भैैरू कै पीर बताऊं।

नव अवतार को खट दर्शन में,

धोखा धरू कैै ध्‍याऊं।।2।। 


भेद कथे व पढि़या पाऊं,

ज्ञान कहुं कै गाउं।

निरन्‍तर कहुं के निपट नजीका,

बोलत को बलि जाऊं।।3।।


सर्गुण कहुं या निर्गुण समझू,

कै सब किस विधि ध्‍याऊं।

अर्थ कहुं के आशंकाधारी, 

अर्थ किसे अर्थाऊं।।4।।


चंचल कहुं के ने निश्‍चल निरभय,

निरन्‍जन कहुं के निज नाऊं।

अलख अल्‍ला बुरा है कि भला,

गम नहीं अगम बताऊं।।5।।


कुदरत कहुं कहां लग कर्ता ,

मै गम सारूं गुण गाऊं।

कह ''लिखमाे'' तेरी गम तूं ही,

मैं स्‍वांसोस्‍वास में पाऊं।।6।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...