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सांभलो कीर्त भजन री भाई sambhlo kirt bhajan ri bhai bhajan kiya so nar

 



सांभलो कीर्त भजन री भाई,

भजन किया सो नर पूग्‍या ठेट।।टेर।।


चेत अचेत चेतला माहिले,

हरि सूं धणी लगायले हेत।

हुकम होवे जद उड़सी हंसलो,

पड़सी पींजर होसी रेत।।1।।


ओ संसार भर्म सूं भरीयो,

भव सागर री भर्मना मेट।

छिन छिन आव घटे काया री,

चेत सके तो अब ही चेत।।2।।


गहरी नदियां अथंग जल भरिया,

जर्णा तिर्षा जिमावो जेप।

ज्ञान का बाण चड़ावो मन मांही,

भजन भाला सूं राखो हेत।।3।।


भूला मानुष फिरे भटकता,

पर त्रिया सूं राखो हेत।

चंचल चोर बसे काया में,

कियां प्रशण होवेला देव।।4।।


शरणे आय बहुत सुख पाया,

शरणा री राखजो टेक।

गुरु शरणे ''माली लिखमो'' बोले,

सेस नाम रो एक अलेख।।5।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...