गणराज थाने सबसे पेली,
धाऊ मारा देव।
गणराज जी ओ गणराज॥टेर॥
माता कहिजे पारवती,
पिता कहे महादेव, पिता है शंकर
देव।
राजा परजा बादशाह,
सभी करे थारी सेव॥1॥
रणत भंवर को बैठणो,
आवे देव तमाम।
सारा पेली जो जपे,
उनका सुधरे काम॥2॥
दून्द्याला ने दु:ख ने हरो,
दीखो बाली बेस।
सारा पेली सिंवरता,
काटो सब ही कलेश॥3॥
शुरू करो कोई काम को,
ले गणपत को नाम।
रिद्धि सिद्धि वहां आवसी,
दन दन दूणो दाम॥4॥
भैरू लाल की बिणती,
सुणज्यो गणपत राय।
सब पर किरपा राखजो,
राखो सब ने हरसाय॥5॥