शब्द भभेकी सतगरू करणा,
समज्या जो सुख पाया।
चेतन आप चराचर व्यापक,
सतगरू ने समझाया।।टेर।।
जन्तर मन्तर जादूू टोना,
कर पाखण्ड पूजाया।
भक्ति ने छोड़ भूतां में भलिया,
मूवा मसाण जगाया।।1।।
काया बैराट देही का फोटू,
मूरती आगे ठहराया।
काया मटगी बैराट मटग्यो,
कोइक सुरगा पाया।।2।।
बोलता पुरूष ने दुरस कर देखो,
क्यू सुन्न मे उलजाया।
उनके संग कबू नहीं भूलू,
भूला बेराग मिटाया।।3।।
बार आठ बत्तीसो मिलकर,
अक्षर बावन कुवाया।
ग्यारा जपा की गरज कोयने,
खाली नेण दुखाया।।4।।
दौलारामजी सतगरू मिलिया,
नाजी कह समझाया।
छोगादास याद सतगरू की,
मोकस पाद उड़ाया।।5।।