प्याला पीले नाम का,
अंखियां करले लाल ।
करो भजन भगवान का,
तो झक मारेगा काल ।।दोहा।।
म्हारी श्याणी सूरता,
राम रस प्यालो झेलरी ।
राम नाम थू बोल री,
अंतर का पर्दा खोल री ॥टेर॥
करले नाभि कंंवल से हेत रे,
म्हारा सतगरू मांडी हाटड़ी रे ।
भाव भक्ति का सौदा करले,
थारे सब रंग लग जावे हाथ रे ॥1॥
चढ़जा गगन मण्डल की गैलरी,
म्हारा सतगरू का रंग महल मेरे ।
रतनगढ़ में रतन निपजे,
थारे हीरो लग जावे हाथ री ॥2॥
चढजा त्रिकुटी महल की गैलरी,
वहां सतगरू आपो आपरेे ।
झिलमिल झिलमिल जोत दरसे,
जब करी अगम की सैलरी ॥3॥
करले राम नाम से हेतरी,
यो बक्सुराम को आदेश री ।
सतरह खंड के पार खंड है,
उन जोगिया को देश री ॥4॥