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राम रटत रटत रंग अब लागा Ram ratat ratat rang ab laaga dheer dharat



राम रटत रटत रंग अब लागा,

धीर धरत धरत भरम जब भागा।।टेर।।


भरम न भूल मूल मन मांही, 

मेट देवो दुर्मत दागा।

राम नाम की रांगण पाकी,

ढील मत कर ढ़ग लागा।।१।।


काया कपाड़ रंग करणीसा, 

तन मन का कर एक सागा।

चेतन हुवा पारख जब पाई,

भांति भांति रंग वांका।।२।।

 

अकल आल बिचलाली लादी,

प्रेम पास पुट हद लागा।

मिल्‍या मसाला मनका महरम,

राच रह्या धागा धागा।।३।।


सुखम शहर चढ़ कीमत किन्‍ही,

शशि सूर्य सोदण लागा।

शब्‍द दलाल सुर्त का सौदा,

निरस नाम रंग है पाका।।४।।


सब रंग पहर सखी एक नाची,

रूप रेख बिन अंग बाका।

कर बिना बीण बाजी ब्रह्माण्‍ड में,

जागी जोत तिबर भागा।।५।।


एक रंग देख भेख में भगवत,

चेतन होय चोकस लागा।

कह ''लिखमो'' संता री कृृृपा,

पुुुुुरबला प्रसंग जागा।।६।।   


जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...