है कोई साध सायब रा,
मत होय निर्भय टुकियक भय राखो मालिक रा।।टेर।।
अल्ला अलेख दोय मत जाणो,
मेटो खोज भरमन्दा।
आपा खोज आपदा रालो,
पखा न पालो बन्दा।।1।।
इन्दर एक दोय मत जाणो,
मेटो दिल री दुविन्धा।
अरस परस धणी आपस नापो,
निरमल जल बरसन्दा।।2।।
आला पिंगला साज सुखमणा,
त्रिपुटी जाप जपन्दा।
उनसुन नेजा रोप सिखरगढ़,
फुरके फरक फुकन्दा।।3।।
माया मुकाम देवरा मांही,
तकिया है आलमदा।
भेेद कथे बे स्याही मांही।
ध्यान धरो हरदम रा।।4।।
धर विश्वास धण ने ध्यावो,
कोई हरिजन हर सिवरन्दा।
ऐसा जाप जपे ''माली लिखमो'',
कटे जम रा फन्दा।।5।।