मन रे माया जग में प्यारी,
जुग ने मोया जावे रे।।टेर।।
राधा रूकमण जैसी नारी।
वा मोहन पर भरकी डारी,
जिण घर नाच रिया गिरधारी,
नाच नचाया जावे रे।।1।।
सीता रावण के मन भायी,
राम रावण से करी लड़ाई।
सेना ले चढिया रघुराई,
सीता खपाया जावे रे।।2।।
पांचों पाण्डू के घर नारी,
विपत में होग्या रे लाचारी।
वांकी सहाय करे गिरधारी,
द्रोपद मराया जावे रे।।3।।
मन रे कर देखो पर त्रिया से हेत,
जांके सिर पर बालू रेत।
जांमू जमड़ा कर रिया हेत,
नारकी में नाक्या जावे रे।।4।।
कर देखो पर त्रिया से प्रीती,
हो जावो चौरासी में फरती।
सत के आदूदास यूं कहता,
सत फरमाया जावे रे।।5।।