रामजी रा घर में नाही,
कणी बात रो घाटो।
पण यो कर्मा के अनुसार,
सबा रे कर दीनो बांटो।।टेर।।
कोई भोगे महल मालिया,
कोई ऊंची मेड्या।
कोई भोगे मोटी पोल्यांं,
चांदण चौक गवाड्या।
कोई झोपडिया टापरियां,
छायो घास रो टाटो,पण...।।1।।
कोई जीमे माल मलीदा,
कोई खीर खीचड़लो।
कोई भारी मेहनत करता,
खावे घाट छाछड़लो।
कोई भूखो ही भरलावे,
पेट के बांधे पाटो, पण...।।2।।
कोई राजा कोई रंक राव है,
कोई सेठ साहूकारी।
कोई दुख्यारो घर घर मांही,
मांगत भीख भिखारी।
यो है पाप पुण्य को लेखो,
लागो जीवां रे छांटो, पण...।।3।।
कोई मूर्ख पण्डित है, कोई बेण्डो,
कोई सन्त सुर ज्ञानी।
कोई राण्ड्यो कोई शेर सूरमो,
कोई दाता कोई दानी।
भैरया देख देख मत छीजे,
यो है कर्मा को फांटो,पण...।।4।।