खूब खबर कर खोजो भाई सन्तो,
खालक खिलका खूब किया।।टेर।।
पांच तत्व का खिलका किया,
अन्न पानी का पोख दिया।
बीच भर्म कर्म का मैला लगाया,
देखो भाई खालक खिलका किया।।1।।
अंवल कंवल कर खिलका दिया,
मूढ़ कर्म में मैला किया।
कोई जन पहरे जोग जुगत सूं,
पिव पर्चे निर्मल रहिया।।2।।
सेंस इकीस छ: सौ धागा,
निस दिन घट घट सिंवरिया।
हरदम हरख कर हेरी मांही।
अलख अपर छन्द बोल रया।।3।।
खालक खेल खलक से किया,
जड़ चेतन बिच रम रहया।
रूम रूम बिच न्यारा नांही,
कर्मा सूं कांने रहया।।4।।
खिलके में खालक क्यूं खोजत,
अनन्त सन्त यो उद्धरिया।
कहे ''लिखमो'' जिनकी बलिहारी,
निज निर्खत निर्भय रहया।।5।।