हां रे आनन्द आया जी,
सतगरूजी थाका दर्शण पाया जी।।टेर।।
सुखभर सूतो रेण अंधारी,
सतगरू आण जगाया जी।
मैं तो जातो नरका में,
मोही सरगा लाया जी।।1।।
माथे हाथ धर्यो सतगरूजी,
सत का शब्द सुणाया जी।
अमृत प्याला पाया भव से,
पार लगाया जी।।2।।
दया करी गरूदेव दयालु,
पल में पार लगाया जी।
भवसागर से पार कर,
सुख सागर लाया जी।।3।।
राम भगत गरूदेव दयालु,
सुमरण ज्ञान बताया जी।
रामदास चरणा का चाकर,
सब सुख पाया जी।।4।।