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मनवो हो गयो रे बेरागी ओर मारे दाय न आयोजी manva ho gayo re beragi or mare daay na ayoji

 

मनवो हो गयो रे बेरागी

ओर मारे दाय न आयोजी

ग्यान वेराग भक्ति खातीर 

जुग में आयो जी ।टेर।


मल, मुत्र को बणीयों बंगलो

इण में जामो पायो जी

गंद, बे गंद हद के पारा

ऊपर रंग डुलायो जी ।1।


है मियादी आखीर उपादी

मन युई लुबायो जी

पल में परले जावे जिरो

पतो न पायो जी ।2।


कई उपनियाँ कई खप गया

मन सोच न पायो जी

रावण कुमकरण जैसा बका ज्या

को गरब गमायो जी ।3।


चवदीश अनुभव हुआ जदी

माने चेतन आयो जी

जेटु नाथ बणज कर

भजन को उपकार सुवायो जी ।4।

जाण गयो जी पहचाण गयो जी जाण गयो बाता मारा मनड़ा की jaan hayo ji pahchan gayo ji bata mara manda ki

 जाण गयो जी पहचाण गयो जी

जाण गयो बाता मारा मनड़ा की

परीत तोड़ी जी इण तनड़ा की ।टेर।


मनख जमारो मुश्कल से पायो

लगन लगी हरी से मिलबा की


भाँत भतीला थारे महल बणाया

कोराई की दी जी पाँच रंगड़ा की


बाल पणो खेलण में गमायो

सोभा गणी रे ईण बनडा की


आयी जावानी थाने मिलगी भवनी

धाने मोसम नहीं है हरीने भजवा की


आयो बुढापो जदी छूट गयो

आपो नारी छेटी दीदी इण नखरा की


जेटु नाथ चरण चित लाया

छोडी रे उपादी इण जडा की

सतगुरु अजब सुणायों ज्ञान नोपत नरबे की बोले जी satguru ajab sunayo gyan nopat narbe ki bole ji

 

सतगुरु अजब सुणायों ज्ञान

नोपत नरबे की बोले जी


पाँच ततव की बणी काया

उपर रंग सुरंग भराया

नौ दरवाजा गजब बणायां है

ताला मारा संत गुरु खोले ओ ।1।


प्रथम द्वारे गुणपत पाया

सुकर द्वारे हीरा बर सायौ

भर छड़ावा मोतियों की लाया है

हीर कोई हरी जन भोले हो ।2।


ले माणक उगम घर आया

सील तेज का पता लगाया

पावन पुरुस का पकड़ियाँ पाया है

चतर कोई आ वीद खेले ।3।


ओ दक्षीण आरे दर्शन पाया

पिछम द्वारे ग्यान सुणायों

हो गया अब मन का चाया है

सुरत मारी सुख भर जुलेओ ।4।


दसवे द्वारे अब चल आयो

हद बेहद बीचे आसण पाया

जेटूनाथ जोगा राम पाया

पार माने किेया पेले हो ।5।

उमावो लागे रे अमर लोक रो जाणो भायों विकट मजधार umavo lage re amar lok ro jano bhaya vikat majdhar

 

उमावो लागे रे अमर लोग रो

जाणो भायों विकट मजधार 

सादुड़ा पुगा अपणी गोत रा ।टेर।


बडला सलगावो भाया पीपला

सांदो भायों सरवररिया री पाल

धरमीड़ा जावे जी फूल विरोलता

पापीड़ा पर पड़े बडकी डाल ।1।


आबुसण पहरावो मुखमल मोचडीयों

सन्ता को करो संतकार

 ऐ पुष्प बेबाणा वारा बेठणा

पापीडा रे खाँडा वाली धार ।2।


जीवड़ा मत मारो मारा  भायड़ा

मती ताको ओरी पराई नार

मदंडो माणो तो नरगा जावणा

थाने मारा गुरा जी की आण ।3।


कन्या परण वो धर्म धारणा

मात पिता को पुत्र अज्ञाकार

सरवण जैसा पुत सुहावणा

बेतरणी से उतरे पेली पार ।4।


पुरब द्वारे थाकां बैठणा

चित्रगुप्ता करे संतकार

परवाना सुणलो जी जेठु नाथ का

बाच देखो गुरड़ पुराण ।5।

सतगुरु दीदी शब्द की चोट अबे माने आण जगाया जी satguru didi shabd ki chot abe mane aan jagaya ji

 

सतगुरु दीदी शब्द की चोट

अबे माने आण जगाया जी ।टेर।


लख चौरासी में भटकत

फीर फीर हो गया काया जी 

नर तन पायो जुग में आयो

माता मारी लाड़ लड़ायो है ।1।


कृपा करी गुरु देव 

सिर पर हाथ धरायो जी 

प्रथम सेवा माता पिता की 

शीर रण परायोजी ।2।


तीजी सेवा ईश्वर की करो 

जीरो फल सवायो जी 

अमर लोक का खुले दरवाजा

गुरा यु फरमायों जी  ।3।


शंकर नाथ मीलीया गुरु पुरा

हो गयो मन चायो जी

जेटु नाथ समज कर 

अबके पकड़ पायो जी ।4।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...