जाण गयो जी पहचाण गयो जी जाण गयो बाता मारा मनड़ा की jaan hayo ji pahchan gayo ji bata mara manda ki

 जाण गयो जी पहचाण गयो जी

जाण गयो बाता मारा मनड़ा की

परीत तोड़ी जी इण तनड़ा की ।टेर।


मनख जमारो मुश्कल से पायो

लगन लगी हरी से मिलबा की


भाँत भतीला थारे महल बणाया

कोराई की दी जी पाँच रंगड़ा की


बाल पणो खेलण में गमायो

सोभा गणी रे ईण बनडा की


आयी जावानी थाने मिलगी भवनी

धाने मोसम नहीं है हरीने भजवा की


आयो बुढापो जदी छूट गयो

आपो नारी छेटी दीदी इण नखरा की


जेटु नाथ चरण चित लाया

छोडी रे उपादी इण जडा की

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