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ऐसी फेरे कोई संत सुजाण aisi phere koi sant sujan hiya bich hari mala



ऐसी फेरे कोई संत सुजाण, 

हिया बिच हरिमाला।।टेर।।


फेरी ध्रुव, प्रहलाद,
करिमां कर्मो का जाल।
फेरी नानक दास कबीर,
अन्‍दर कर उजियाला।।1।।

फेरी रामानन्‍द, नवनाथ,
दत्त पंथ रूखवाला।
फेरी नारद मुनी,सुखदेव,
फेरी गोरख माला।।2।।

फेरी गोपीचन्‍द,भरथरी,
बलख बुखारे वाला।
फेरी शेख फरीद वाजीद,
कमाल कबीरे वाला।।3।।

फेरी हरिश्‍चंद्र,युधिष्‍ठर,
बलि बैठा सत धर्मशीला।
फेरी कर्षा मोरध्‍वज,
संत विदुरजी विर्धा वाला।।4।।

फेेेरी पीपा, रविदास,
खुलिया तन का ताला।
फेरी कालू सुर से,
न सबका सांसा टलिया।।5।।

फेरी नामदे,नरसी,तुलसी,
प्रेम पिया मतवाला।
फेरी सजन, गजराज,
काज प्रभु ध्‍याया माला।।6।।

फेरी दादू धने फरसराम,
खोजी कू सूजी माला।
फेरी बकिने कुबे छदाम,
मित्र किया गोपाला।।7।।

फेरी कीते हरि बालमिक,
बेठा सुन को साला।
फेरी अगर तिलोकचंद,
हरिदास के हित माला।।8।।

फेरी सिरियांदे सांची,सम्‍भया,
राम भया रिछपाला।
सुत मंजारी का राम राख्‍या,
जलती अगन ज्‍वाला।।9।।

पाया भगत भाीलणी बोर,
खीच कदमा बाला।
फेरी द्रोपदी कर दिल पाख,
मीरा के मोहन माला।।10।।

फेरी सिद्ध साधक ऋषि मुनी फेरी,
ज्‍यांरा हरिमाला।
''माली लिखमा'' लाधी वेतो फेर,
झूमो साधा री चाला।।11।।

जागो जूनी कला गोसाई भीड़ पर्या भगतां रे भेला jago juni kala gosai bheed parya bhagta re



जागो जूनी कला गोसाई,
भीड़ पर्या भगतां रे भेला संकट मेटे सांई।।टेर।।


दरगा अलख मदीने अल्‍ला,
झूजा रेर गुसांई।
नाम धर धोखाई,
धामो कदम रसूल केवाई।।1।।

भजमन गिरधारी गोविन्‍दा bhaj man girdhari govinda bhajan lyrics


 

भजमन गिरधारी गोविन्‍दा,
सालगराम सोही सब सामिल,
और धोखे का धन्‍धा।।टेर।।


कर्ता पुरूष किया कमठाणा,

कर पांच तीन का धंंधा।

धंंधा में सब जुग भरमन्‍दा,

जो बिच अलख लखन्‍दा।।1।।


म्‍हारी शरम राजरे शरणे, कलम राखज्‍यो जनम सुधार mari sharam rajre sharne kalam rakh jo janam



 म्‍हारी शरम राजरे शरणे,
कलम राखज्‍यो जनम सुधार।।टेर।।


शारद माय भाय आई म्‍हारे,

रिदसिद द्यो गणपति दातर।

राम कंवर सूं ताली म्‍हारे,

रिद्ध रोजीरा भरिया भण्‍डार।।1।।


आई म्‍हानेे संत शब्द इकतारी aai maane sant shabd iktari hai hari ek



आई म्‍हानेे संत शब्द इकतारी,
हे हरि एक एक कर जाणो,दीसे दुबधा न्‍यारी ।।टेर।।


ओमकार अटल अण्‍घड़, 

सत सोहू माया थारी ।

माया का विस्‍तार ब्रह्म बिच, 

रचना कुदरत थारी।।1।।


माया में मोह रहता हैै, 

हो अला ओमकारी।

व्‍यापक ब्रह्म भर्म सूं भूला, 

सो कर्म अधिकारी ।।2।।


मच्‍छ कच्‍छ हूवो तूही, 

हर‍ि बारा तू नरसिंह नखधारी।

बाबन होय बलद्वार पधारियो, 

परशराम अवतारी।।3।।


राम अवतार हुयो तू राघव, 

धन छलियो कलाधारी ।

तूही कृष्‍ण रणछोड़ द्वारका, 

गोविन्‍दो गिरधारी ।।4।।


कलयुग दसवी कला पूजाई, 

हुवा रामदेव छत्रधारी।

थे निकलंक होय सो नारायण, 

कर कालिंगा पर त्‍यारी।।5।।


बुध अवतार ओलखियो बुध से, 

सत् असत् शब्‍द विचारी।

से समदृष्टि साधु बड़भागी, 

दुतिया मिटही यारी।।6।।


सिद्ध साधक संता सब सिवरे, 

जीव ज्‍यां जोत तुम्‍हारी।  

तुम सर्वगी सब में बोले, 

जड़ चेतन जग सारी।।7।।


धर विश्‍वास सांच संग सिद्धा 

सन्‍त अनन्‍त विचारी।

सो विश्‍वास फल अब लिखमा जाणे, 

जीस्‍यो हरि त्‍यारी।।8।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...