मैं थाने सिवरूं गजानन्द वो देवा,
हिरदे करो न उजियाला जी।
सरस्वती माता वो शारदा ने सिवरूं,
खोलो मारा हरदा तालाजी।
निंदरा ने मारो भोलानाथ जी।।टेर।।
जरणी न जायो रे ओदर कोनी आयो।
अमिया राेे लाल कहवायो जिवो।।१।।
पाणी सूं तो पतलो पवन सूं जीणो।
चोबारिया तो हनुमत गाजे जी वो।।२।।
हाथ रे गालू रे हीरो हाथ कोनी आवे।
मुठिया में नहीं रे समावे जी वो।।३।।
मछन्दर प्रताप जती गाेरख बोल्या।
खुल गया भरम वाला ताला जी वो।।४।।