धनगुरू अविगत भेद बताया तार न टूटे कबहू न छूटे लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
धनगुरू अविगत भेद बताया तार न टूटे कबहू न छूटे लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

धनगुरू अविगत भेद बताया तार न टूटे कबहू न छूटे dhanguru avigat bhed bataya taar na tute kabhu na chute

धनगुरू अविगत भेद बताया,

तार न टूटे कबहू न छूटे,

महर करी जब पाया।।टेर।।

 

तन मन तार लगी त्रिवेणी,

इला पिंगला धाया।

पांचों उलट मिली आतम सूं,

प्रेम प्‍याला पाया।।1।।

 

सुरता नारी सुखमण प्‍यारी,

ज्ञान घटा झुक आया।

परस्‍या पीव प्रेम सुन वासी,

अनहद राग सुणाया।।2।।

 

अनभे वाणी राग अगम की,

जांके आदि अनादि पाया।

पूरण भाग मिल्‍यो अविनाशी,

भरम करम नहीं काया।।3।।

 

जियाराम मिल्‍या गरू पूरा,

जम जालम समझाया।

कहे बनानाथ सुणो भाई साधू,

अमर पटा ले आया।।4।।


जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...