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असली घर ने भूल गयो रे अन्‍त समय पछताय रे asali ghar ne bhul gayo re ant samay pachtay re

 

असली घर ने भूल गयो रे,

अन्‍त समय पछताय रे।

है तो वो को वोही,

मन कह कह थाको तॉई रे।।टेर।।

 

मैं तो जाणू रे थू राम भजे रे,

बक मारे जक होई।

इण करमा सूं जाण पड़ेला,

चौरासी की खाई रे।।1।।

 

मैं जाणू रे थू बैठो मन्‍दर में,

आंख्‍या मीच ने दोई।

थू तो निकले न्‍यावरिये नाटो,

जाई परोई जोई रे।।2।।

 

मैं जाणू थू नवी करी रे,

कीदी कमाई खोई।

मूरखो की संगत में बैठ के रे,

खो दीनी थू  दोई।।3।।

 

मैं केऊ रे दिन रियो थोड़ोई,

थू केवे गणोई।

मैं तो केऊ या भूल भरमना,

थू केवे मजो गणोई।।4।।

 

मान मान नर चतुर मनावे,

बण बण ने थोरोई।

इतरो कहूं थू आइजे अब,

नितर जाइजे परोई।।5।।

सतगरू आपका दर्शन की माने ओल्‍यूड़ी आवे satguru apka darsan ki mane oludi aave

 

दोहा: विरह सतावे सतगरू, किसविध काढू टेम।

दर्श दिखावो आय कर, करो दुर्बल पर हेम।।

 

सतगरू आपका दर्शन की माने,

ओल्‍यूड़ी आवे।

ओल्‍यूड़ी आवे परमगुरू,

याद गणी आवे।।टेर।।

 

दर्शन आडा पाप हजारो,

आकर फंस जावे।

जन्‍म जन्‍म का कर्म कियोड़ा,

बुद्धि भरमावे।।1।।

 

जो मैं सुमिरण करू गुरां का,

मनवो डिग जावे।

आपके दर्शन बिन,

खाली गीत गावे।।2।।

 

शुभ नजरे जब होवे आपकी,

सुमिरण मन भावे।

सत चित आनन्‍द अविनाशी,

घट घट में दर्शावे।।3।।

 

दीपक बाती पावक कहिये,

ज्‍यामें तेल च्‍हावे।

आप बिना मारा दीपक दाता,

कौन चेतावे।।4।।

 

चतुर स्‍वामी अन्‍तरयामी,

सब कुमति ढावे।

ओम आपकी चरण शरण,

पद रज गंग न्‍हावे।।5।।







आरती सतगरू की कीज्‍यो जी आरती धनगुरू की कीज्‍यो aarti satguru ki kijo dhanguru ki kijo

 

आरती सतगरू की कीज्‍यो जी,

आरती धनगुरू की कीज्‍यो,

पान पतासा मिसरी मेवा,

तन मन धन अलपीजो।।टेर।।

 

चन्‍दन चौक पुराय के जी,

आसण दे दिज्‍यो।

हाथ जोड़ परिक्रमा करके,

चरण धोक दीज्‍यो।।1।।

 

प्रेम का दीपक नियम की बत्तिया,

ज्‍योति झिलमिल ज्‍यो।

प्रेम की नदिया बहे घट भीतर,

आनन्‍द रस पीज्‍यो।।2।।

 

इडा पिंगला जोय जुगत से,

घर सुखमण लीज्‍यो।

सोहं शब्‍द रटो घर भीतर,

गरूजी से गम लीज्‍यो।।3।।

 

अधम उधारण भव दु:ख तारण,

शरणो गह लीज्‍यो।

चतुरदास चरणां को चेरो,

भक्ति वर दीज्‍यो।।4।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...