असली घर ने भूल गयो रे,
अन्त समय पछताय रे।
है तो वो को वोही,
मन कह कह थाको तॉई रे।।टेर।।
मैं तो जाणू रे थू राम भजे रे,
बक मारे जक होई।
इण करमा सूं जाण पड़ेला,
चौरासी की खाई रे।।1।।
मैं जाणू रे थू बैठो मन्दर में,
आंख्या मीच ने दोई।
थू तो निकले न्यावरिये नाटो,
जाई परोई जोई रे।।2।।
मैं जाणू थू नवी करी रे,
कीदी कमाई खोई।
मूरखो की संगत में बैठ के रे,
खो दीनी थू
दोई।।3।।
मैं केऊ रे दिन रियो थोड़ोई,
थू केवे गणोई।
मैं तो केऊ या भूल भरमना,
थू केवे मजो गणोई।।4।।
मान मान नर चतुर मनावे,
बण बण ने थोरोई।
इतरो कहूं थू आइजे अब,
नितर जाइजे परोई।।5।।