बीरा मारा मेलो जोतो जाय,
प्राणी मारो दर्शण देतो जाय।।टेर।।
सौ सुवाड़ी सौ बाकड़ी,
सौ अणदुही जाय।
गुहली देबा ने गोबर कोयने,
छाछ मोल की खाय।।1।।
सौ सुवाड़ी दस बाखड़ी,
सौ चरबा ने जाय।
पति मारो लेय लाकड़ी,
वाने हलाबा जाय।।2।।
लाव चड़स कूड़ा के माये,
बैल गऊ के पेट।
हांकण वालो झूले पालणे,
प्राणी बन के माय।।3।।
भायी तो अडू बाजरी,
पाकण आई जुंवार।
खाण्डण वाली झूले पालणे,
मूसल बन के माय।।4।।
सतगुरू मारो सांवरो,
शब्दो से समझाय।
कहे कबीर सुणो भाई साधू,
फेर जनम नहीं आय।।5।।