बिन भजन ज्ञान मिले कहो कैसे,
हिन्दू तुरक दो दीन बने है,
आये एक ही घर से।।टेर।।
उनके माला इनके तस्बी,
चला करे कर कर से।
बिना गुरू के ज्ञान न पावे,
ध्यान धरो चाहे जैसे।।1।।
भटक भटक कर घर को आये,
रहेंगे जेसे के तेसे।
वे बकरी व गाय कटावे,
दया रहम नहीं दिल में।।2।।
सुन्नत कराये मूछा रखाये,
काहे भये गरभे से।
कहे कबीर दोऊ दीन भूला ने,
बेर करे रब रब से।।3।।