बीत्यो पहर घड़ी दन रहग्यो,
अब क्यूं बगत गमाता।
भजन कर छोड़ जगत का नाता।।टेर।।
भंग न तो गंग कर मानो,
विषय में सुख चाहता।
विषय के कारण भूलग्यो,
भोंदू खराब कीदा खाता।।1।।
थूं कुणी मूं कुणी,
कठुं आया कहां जाता।
धन दौलत तेरा माल खजाना,
सभी पड्या रह जाता।।2।।
पुत्र पुत्री मामी मासी,
भाई भोजाई औरी
माता।
अतरा ने देख भलमग्यो,
भोंदू पछे क्यूं चरलाता।।3।।
साद सती को कहणो न माने,
मद मांस क्यों खाता।
विषय के कारण घर घर डोले,
कुल के काठ लगाता।।4।।
लग रही घंटी चेतन हो जा,
सतगरू बहुत समझाता।
सतगुरा शरणे 'लाडूराम' बोले,
औरी औसर नहीं आता।।5।।