अलख लख जुगती मुक्ति री पाई,
भवसागर बिच बह जात।
मोही सतगुरू बांह पकड़ाई,
गुरूजी म्हाने ठीक बताई ठाई।।टेर।।
गम गणपत शारद दिवी सोजी,
सहजां सुद बुद पाई।
मनमें उचरया ब्रह्म बिचारी,
सत् शब्दों ओलखाई।।1।।
राम के नाम बिना रे मूरख राम के नाम बिना रे, जल जइयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...