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माधव रे मन्‍दर में मीरां एकली खड़ी madhav re mandar me meera akali khadi bhajan lyrics

सांवरा आओ तो सरी,

मोहन आओ तो सरी ।

माधव रे मन्‍दर में,

मीरां एकली खड़ी ।।टेर।।

 

थे केवो तो सांवरा,

मैं जल जमना बण जाऊं ।

न्‍हावण लागे सांवरा,

थारे अंग अंग रम जाऊं ।।1।।

 

थे केवो तो सांवरा,

मैं मोर मुकुट बण जाऊं ।

पहरण लागे सांवरा,

थारे मस्‍तक पे रम जाऊं ।।2।।

 

थे केवो तो सांवरा,

मैं बांसुरिया बण जाऊं ।

बंशी बजावो सांवरा,

थारे होठां सूं लग जाऊं ।।3।।

 

थे केवो तो सांवरा,

मैं काजलियो बण जाऊं ।

काजल काढ़े सांवरा,

थारे नैना में रम जाऊं ।।4।।

 

थे केवो तो सांवरा,

थारे हिवड़े हार बण जाऊं ।

पहरण लागे सांवरा,

थारे हिवड़ा में रम जाऊं ।।5।।

 

थे केवो तो सांवरा,

मैं पग पायल बण जाऊं ।

रास रचावे सांवरा,

थारे चरणां में जाऊं ।।6।।

 

मीरां हर की लाड़ली,

वा है वचनां की सांची ।

चारभुजा का मन्‍दर में,

वा बांध घुघरा नाची ।।7।।

प्रभु सब जग के प्रतिपाला जपू नित गोविन्‍दा गोपाला prabhu sab jag ke pratipala japu nit govinda gopala

 

आवो मारा जगत पति जगदीश,

नाम ना भूलू बस्‍वाबीस,

प्रभु सब जग के प्रतिपाला,

जपू नित गोविन्‍दा गोपाला।।टेर।।

 

शीश पे मोर मुकट सोहे,

कुण्‍डल कानो में मन मोहे।

हाथ में मुरली लकुटी वाला,

जपू नित गोविन्‍दा गोपाला।।1।।

 

श्‍याम रंग सूरत है प्‍यारी,

तिलक और हरिकणी भारी।

नेत्र है शुद्ध नजर वाला,

जपू नित गोविन्‍दा गोपाला।।2।।

 

जामो जरीदार पहरे,

सुगन्‍धी अन्‍तर अंग लहरे।

गले में फूलों की माला,

जपू नित गोविन्‍दा गोपाला।।3।।

 

छटा मंदिर की है भारी,

बिराजे सज धज गिरधारी।

भक्‍तों के सहायक नन्‍द लाला,

जपू नित गोविन्‍दा गोपाला।।4।।

 

भेद सही सतगरू बतलावे,

गन्‍धर्व गुण रामो नित गावे।

खोल दो हिरदे का ताला,

जपू नित गोविन्‍दा गोपाला।।5।।

कोई कहियो रे सांवरिया घर आवण की koi kahiyo re sanwariya ghar aavan ki

 

कोई कहियो रे सांवरिया घर आवण की,

आवण की रे मन भावण की।।टेर।।

 

आप न आवे लिख नहीं भेजे,

बाण पड़ी ललचावण की।।1।।

 

ये दोई नैण कियो नहीं माने,

नदिया बहे रे जैसे सावण की।।2।।

 

क्‍या करू कुछ बस नहीं चाले,

पंख नहीं रे उड़ जावण की।।3।।

 

मीरां के प्रभु कब रे मिलोगे,

चेरी भई हूं तेरे दावन की।।4।।

जनम्‍यो जनम्‍यो गोकल में कान्‍हो बंशी वालो janamyo janamyo gokal me kanho banshi valo

आवो ए सखीरि धीमी धीमी चालो क,

जनम्‍यो जनम्‍यो गोकल में कान्‍हो बंशी वालो।।टेर।।

 

नन्‍द ने जशोदा घर बाजा बाजे क।

देव नाचे रे, गगन में इन्‍दर गाजे,आवो...।।1।।

 

सांवरी सूरत गणी प्‍यारी लागे क।

भाग जागो ए जशोदा थारो पूत सागे,आवो...।।2।।

 

पालणियो बांधो ए झट झुकमा वालो क।

जीं में झूले रे खेले रे प्‍यारो नन्‍दलालो,आवो...।।3।।

 

खेलबा चालां ए सखी हिलमिल ने क।

गीत गावां ए रसिक आपा मिलजुल ने,आवो...।।4।।

 

अष्‍टमी आई के लारे खुशी लाई क।

मन बसियो रे कन्‍हैयो आयो जग माही,आवो...।।5।।

आज तो आनन्‍द मारे कृष्‍ण आये पावणां aaj to anand mare krishna aaye pavna

 

आज तो आनन्‍द मारे,

कृष्‍ण आये पावणां।।टेर।।

 

फूला हंदी सेज बिछाऊ,

फूलों का बिछावणा।

फूली फूली राधा डोले,

गावती बधावणा।।1।।

 

गेंद के खिलैया जरा,

टोरा तो लगावणा।

कालीदेह में कूद पड़े,

नाग नाथ लावणा।।2।।

 

मथरा में कंस मार्यो,

पिता को छुडावणा।

पहुंचे बलि मखशाला,

रूप धरे बावना।।3।।

 

बंशी के बजैया जरा,

फेर से बजावणा।

मीरां को तुम्‍हारी आश,

हिये से लगावणा।।4।।

मनमोहन मुरली वाला रे नटवर ने जादू डारा manmohan murli vala natvar ne jaadu dara

 

मनमोहन मुरली वाला रे,

नटवर ने जादू डारा ।।टेर।।

 

कोई केवे कृष्‍णमुरारी,

कोई केवे नटवर गिरधारी।

मैं जपू तुम्‍हारी माला वो,

नटवर ने जादू डारा ।।1।।

 

केश पकड़ हरि कंस पछाडिया,

हरणाकुश को नख से फाड्या।

दुष्‍ट मारने वाला वो,

नटवर ने जादू डारा ।।2।।

 

गज को ग्राह ने पकड़ दबाया,

गरूड़ छोड़ हरि पैदल आया।

भगत बचाने वाला वो,

नटवर ने जादू डारा ।।3।।

 

नाथ भंवर बिच नैया मेरी,

मेरी बेर करी क्‍यू देरी।

पार लगाने वाला वो,

नटवर ने जादू डारा ।।4।।

 

कबीर के घर बालद लाये,

मेवा मिसरी भरकर लाये।

आप बने बणजारा वो,

नटवर ने जादू डारा ।।5।।

कानूड़ा लाल मांसू रीजे आंतरे खड़ो kanuda laal masu rije aatare khado

कानूड़ा लाल मांसू रीजे आंतरे खड़ो।।टेर।।

 

और गुजरिया काना,

माने मत जाणे।

कानूड़ा लाल मारो है,

सुभाव कड़ो।।1।।

 

और गुजरिया काना,

काली रे काली।

कानूड़ा लाल मैं हूं जाण्‍या,

रूप को डलो।।2।।

 

और गुजरिया काना,

छाछ ही पीवे।

कानूड़ा लाल मैं पीऊ,

दूध को पल़ो।।3।।

 

माखन मिश्री के खातर,

लारा लारा डोले।

कानूड़ा लाल फोड्यो मारो,

दही को घड़ो।।4।।

 

घरे जाताई मारी,

सास लड़ेली।

कानूड़ा लाल ई प्रीती पे,

बिजली पड़ो।।5।।

 

इतना तो बालक काना,

देख्‍या रे ब्रज में।

कानूड़ा लाल थू है सबसे,

उधमी बड़ो।।6।।

 

चन्‍द्र सखी काना,

नित थने सिवरे।

कानूड़ा लाल,

लछमण थारे शरण पड़ो।।7।।

न दूं मटकी को डाण न दूं महीड़ा को डाण na du matki ko dan gokal ka vasi kaan

 

गोकल गढ़ से आई गुजरी,

माथे दही को मटको ऐ माना गुजरी।

न दूं मटकी को डाण,

न दूं महीड़ा को डाण।।

 

गाडी वे तो लेले लालजी,

मथरा का भोला कान,

गोकल का बासी कान।

थारी बोली प्‍यारी लागे ओ,

लागे ओ लालजी।।टेर।।

 

घाल्‍यो कमर्या पर हाथ,

मारी बाला चूंदड़ फाटे ओ,फाटे लालजी।

फाटे तो फाटण दीजे,

मेला में ओरी मूलादूं ऐ माना गुजरी।।2।।

 

छोड़े न बालूड़ा मारा हाथ,

शरणाटे चूड़लो तड़के ओ,तड़के ओ लालजी।

तड़के तो तड़कण दीजे,

मथरा में ओरी मूलादूं ऐ माना गुजरी।।3।।

 

केवे न बालूड़ा मन की बात,

मारो महीड़ो कूकर लागो ओ, लागो ओ लालजी।

केवे कन्‍हैया मन की बात,

थोड़ो जावण तातो लागो ऐ माना गुजरी।।4।।

 

गावे कन्‍हैया लाल,

थारो धीणो अमर रीजो ऐ माना गुजरी।।5।।

मुख से बीण बजाओ लालजी मान राख सुन्‍दर का mukh se been bajao laalji maan rakh sundar ka


सिवरू शारदा सिवरू शारदा,

मारे है मलबा की तरका।

पीर ने मनाऊ गरूदेव ने मनाऊ,

राख भरोसा दिल का।।1।।

 

मथरा में आज्‍यो पावणा,

गोकल में आज्‍यो पावणा।

मारे है मलबा की  तरका,

 

मलबा के खातिर तोड़ दीना,

फोड़ दीना बाळ दीना

जाळ दीना पूणी और चरखा,

पूणी और चरखा।।

 

मुख से बीण बजाओ लालजी,

मान राख सुन्‍दर का।।टेर।।

 

जल भरबा ने गई गुजरी,

माथे धरिया मटका।

जल जदी भरबा दूं गुजरी,

टका मेल दे जल का।।2।।

 

जल भरबा ने गई गुजरी,

घाट छोड़ गुजर का।

थारे असी गमेडू थाप की,

बेटा है ये नन्‍द का।।3।।

 

गरभ भरी मत बोल गुजरी,

तोड़ दूंला अणका टणका।

पकड़ मंगाऊ थारा कंस राव ने,

मैं हूं बेटा नन्‍द का।।4।।

 

तीवण तीस बत्‍तीस लालजी,

करू चूरमा दिल का।

गोकल गढ़ की गुजरी,

कान्‍हा है मथरा का।।5।।

गोकल रा कांकड़ में कानो धेनु चरावे रे भजन लिरिक्‍स gokal ra kakad me kanho dhenu charave re

 


घनश्‍याम मुरारी रे

छोटो सो नन्‍दलाल

कन्‍हैयो मुरली वालो रे।।टेर।।


खांदे काली कामली रे,

घूघी घेर घुमेर,

केशरिया टोपा के माथे,

फूंदा चारों मेर।

वांकी शोभा मन में भावे रे,

गोकल रा कांकड़ में कानो धेनु चरावे रे।।1।।

 

डूंगर माथे बैठ के ऊ 

देवे छे आवाज,

काली पीली झूमर धोळी 

गायां आवे पास।

वांने घेर घरां में लावे रे,

गोकल रा कांकड़ में कानो धेनु चरावे रे।।2।।

 

नन्‍दबाबा को लाडलो रे 

गणी उधम की खान,

आती जाती गुजरियां से 

मांगे दही को डांड।

वो तो माखणियो घटकावे रे,

गोकल रा कांकड़ में कानो धेनु चरावे रे।।3।।

 

कदी घड़ी को खेल करे छे 

कदी घड़ी को रास,

कदी गोप ग्‍वाल्‍या ने संग ले 

रचे अनोखो राच।

वो तो राम रसियो गावे रे,

गोकल रा कांकड़ में कानो धेनु चरावे रे।।4।।

 

थू हे सतगरू सांवरा 

मारा भव बन्‍धन ने टार,

दास रामने भजन बणायो 

अलगोचा की ताण।

मारो चित चरणां में लागो रे,

गोकल रा कांकड़ में कानो धेनु चरावे रे।।5।।




जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...