कोई कहियो रे सांवरिया घर आवण की,
आवण की रे मन भावण की।।टेर।।
आप न आवे लिख नहीं भेजे,
बाण पड़ी ललचावण की।।1।।
ये दोई नैण कियो नहीं माने,
नदिया बहे रे जैसे सावण की।।2।।
क्या करू कुछ बस नहीं चाले,
पंख नहीं रे उड़ जावण की।।3।।
मीरां के प्रभु कब रे मिलोगे,
चेरी भई हूं तेरे दावन की।।4।।
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