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भव सागर भारी भरियो तारे तिर्भणराया bhav sagar bhari bhariyo taare tirbhan raya



भव सागर भारी भरियो, 

तारे तिर्भणराया।।टेर।।


समझ शब्‍द री बेहडली,

खेवट साविद आया।

इण विध सन्‍त उधारिया,

सतगुरू जीव तराया।।1।।


भांजी भवसागर री भर्मना,

हरि हृदय हेरा।

कायम गुरू कृपा करे,

मिट जावे जमरा फेरा।।2।।


 इण विध सन्‍त उधारिया,

दाखे गुरू मेरा।।टेर।।


भव सागर बीच भूल तो,

मिलीया सन्‍त सौदागर।

हरि हीरो परखायो, 

सूज्‍यो घट अन्‍दर।।3।।


इण विध सन्‍त उधारिया,

सन्‍त दीखे सतगुरू।।टेर।।


सांचो साथेे सायब  रमे,

सांचो श्‍याम निवाजे।

थिर थाणा विश्‍वास में,

ज्‍यांही ब्रह्म् विचारे।।4।।


इण विध सन्‍त उधारिया,

मिल सतगुरू श्रम भाजे।।टेर।।


हरिजन हर लिव लागा,

धर इकतारी।

हर लिव लागा लिखमसी,

जिनकी बलिहारी।।5।।


इण विध सन्‍त उधारिया,

गुरू गम बिचारी।।टेर।।



जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...