मैं तो उणी रे संता रो हूं जी दास जिणूं ने मन मार लिया लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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मैं तो उणी रे संता रो हूं जी दास जिणूं ने मन मार लिया main to uni re santa ro hu ji das jinu ne man maar liya

 मैं तो उणी रे संता रो हूं जी दास,

जिणूं ने मन मार लिया।।टेर।।

 

मन मार्या तन बस किया जी,

हुआ भरम सब दूर।

बाहर तो कुछ दीखत नाही,

भीतर चमके नूर।।1।।

 

काम क्रोध मद लोभ मार के,

मिटी जगत की आस।

बलिहारी उण संत की रे,

परकट किया परकाश।।2।।

 

आपो त्‍याग जगत में बैठे,

नहीं किसी से काम।

उनमें तो कुछ अन्‍तर नाही,

संत कहो न चाहे राम।।3।।

 

नरसीजी के सतगुरू स्‍वामी,

दिया अमीरस पाय।

एक बून्‍द सागर में मिल गई,

क्‍या तो करेगा जमराय।।4।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...