सांवरा आओ तो सरी,
मोहन आओ तो सरी ।
माधव रे मन्दर में,
मीरां एकली खड़ी ।।टेर।।
थे केवो तो सांवरा,
मैं जल जमना बण जाऊं ।
न्हावण लागे सांवरा,
थारे अंग अंग रम जाऊं
।।1।।
थे केवो तो सांवरा,
मैं मोर मुकुट बण जाऊं ।
पहरण लागे सांवरा,
थारे मस्तक पे रम जाऊं
।।2।।
थे केवो तो सांवरा,
मैं बांसुरिया बण जाऊं ।
बंशी बजावो सांवरा,
थारे होठां सूं लग जाऊं
।।3।।
थे केवो तो सांवरा,
मैं काजलियो बण जाऊं ।
काजल काढ़े सांवरा,
थारे नैना में रम जाऊं
।।4।।
थे केवो तो सांवरा,
थारे हिवड़े हार बण जाऊं ।
पहरण लागे सांवरा,
थारे हिवड़ा में रम जाऊं
।।5।।
थे केवो तो सांवरा,
मैं पग पायल बण जाऊं ।
रास रचावे सांवरा,
थारे चरणां में जाऊं ।।6।।
मीरां हर की लाड़ली,
वा है वचनां की सांची ।
चारभुजा का मन्दर में,
वा बांध घुघरा नाची ।।7।।