मीठो होया गणोई सुख पाये,
सतगरू शरणे जाई,
आकड़ा मीठो होजा मारा भाई।।टेर।।
भरम करम को ऊबो आकड़ो,
जहर गणो उन माई।
अमृत बूंद उण पर बरसे,
जहर कभी न जाई।।1।।
आक चन्दन जोड़ो रे ऊबो,
बास सुगन्ध गई पियाला माई।
फूलां में थारे भंवरा भुवे,
कलिया काम नहीं आई।।2।।
आकड़ा की लकड़ी काम नहीं आवे,
बल जल राख हो जाई।
चन्दन लकड़ी काट भाड़ ने,
मन्दर मूरत चढ़ाई।।3।।
पदमराम परवाणी मलग्या,
लाडूजी सेण बताई।
गुजर गरीबो कनीराम बोले,
गांव गोरख्या माई।।4।।