भजन कीया ज्यो नर
अवरया हो जी
तरग्या संत अपार
दूरमत ने
अलगी टालज्यो हो जी ।टेर।
आवो सैया
मंगल गावा
अपना
गुराने मनाये
चरणा की सेवा
करा हो जी
अमृत लेवा
गठका ।1।
आवो अलाई
बाई पोगला है जी
आवो सुकमण
नार,
सुरता
राणी ने संगमे लावुज्यों है जी
मिल कर
गावा मंगला चार ।2।
बकड़ी सेरया सैया भौगणा हो जी
रिज्यों गुणी होशियार
घार चुकेतो नीचे गीर पड़े हेजी
तोड़ो मती
थे तार।3।
पांच कोए को सैया भारी चालनों है जी
बैठो मती हिम्मत हार
आगे बिराज्या गुरु आपना है जी
तन मन लेवाला वार ।4।
गोपी नाथ
गुरु भेटीया
शब्द दीया
निज धार
शंकरनाथ
शरणे आव्या
दूरबल
लागा लार ।5।