अब तिमि सिमरो नबी रसूला,
सांचो साहिब लेखो लेसी,
पड़े जैल बन्ध सुला भला।।टेर।।
अला भला जाणे सब सला,
बांग पुकारे मुल्ला।
काजी भूला दीन को,
मौला भूला मुसल्ला।।1।।
रोजा रखे नमाज गुजारे,
मिटिया न मन का मेला।
अन्त काल में भाण्डा फूटे,
मिया फजीती हुवेला।।2।।
हूं में हार मतिमन्द बिसरिया,
किस विध होसी भला।
मारे जीव भिस्तरी बांता,
दोजख जाय बन्धेला।।3।।
देखे ताप ताव जब चढ़सी,
थर थर थर कांपेला।
जब सेतानी मारे तुर्पो,
तोबा ताण मचेला।।4।।
सत् सबाब सायब ने सिमरो,
सत् री जाप झिलेला।
कह ''लिखमा'' जांके घट में अल्ला,
बिना कुराण तिरेला।।5।।