अर्ज सुणो अजमाल सुत रामा,
संकट मेटो मेरा स्याम धणी ।।टेर।।
गणपत सेव थारी सांची,
राजी होय दिवी समझ धणी ।
राम कंवर रा चरण परसतां,
शरणे आया मारे भली बणी ।।१।।
दुख मेटण दुनिया रा देवा,
सायरो साध समन्दो सुणी ।
बाई तनो जिवायो बालक,
कर प्रकट थारी कला धणी ।।२।।
पीड़ पेटरी पीरजो पालो,
परसण होय पुकार सुणी।
आवो तंवरारा तिलक संतारा तारण,
सत सिवरण आराध धणी ।।३।।
मोटो बिरद रावालो बालो,
मोहर छाप मारे धणियां तणी ।
धणी होय धणीयाप दिखायो,
साय करो थारे संता तणी ।।४।।
चाकर चूक गुना बख्सावो,
भालो निजर मां पर मेर धणी।
कह लिखमा ओलगु अजमालरा,
सन्मुख होय मारी साध सुणी ।।५।।