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रामचंद्र कह गये सिया से ऐसा कलजुग आयेगा Ramchandra kah gaye siya se aisa kaljug aayega

रामचंद्र कह गये सिया से,

ऐसा कलजुग आयेगा।

हंस चुगेगा दाना कुनका,

कौआ मोती खायेगा।।टेर।।

 

धर्म होगा कर्म भी होगा,

परन्‍तु शर्म नहीं होगा।

बात बात पे मात पिता को,

बेटा आंख दिखायेगा।।1।।

 

राजा और प्रजा दोनों में,

होगी निशदिन खेंचातानी।

कदम कदम पर करेंगे दोनों,

अपनी अपनी मनमानी।

जिसके हाथ में होगी लाठी,

भेंस वही ले जायेगा।।2।।

 

सुणो सिया कलजुग में,

काला धन और काला मन होंगे।

चोर उचक्‍के नगर सेठ और,

प्रभु भक्‍त निरधन होंगे।

जो होगा लोभी और भोगी,

वो जोगी कहलायेगा।।3।।

 

मन्दिर सूना सूना होगा,

भरी रहेगी मधुशाला।

पिता के संग संग भरी सभा में,

नाचेगी घर की बाला।

कैसा कन्‍यादान पिता ही,

कन्‍या का धन खायेगा।।4।।

 

मूरख की प्रीत बुरी,

जुंए की जीत बुरी।

बुरे संग बैठ चैन भागे ही भागे।

 

काजल की कोटड़ी में,

कैसो ही जतन करो।

काजल को दाग लागे ही लागे।

 

कितना ही जती हो कोई,

कितना ही सती हो कोई।

कामणी के संग काम जागे ही जागे।


सुनो कहे गोपीराम,

जिसका है नाम काम।

उसका तो फन्‍द गले लागे ही लागे।।


जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...