मेरा गरू लागे मोही प्‍यारा पल में पार करे भवसागर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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मेरा गरू लागे मोही प्‍यारा पल में पार करे भवसागर mera guru lage mohi pyara pal me paar kare bhavsagar

 

मेरा गरू लागे मोही प्‍यारा,

पल में पार करे भवसागर,

है मुझ को इतबारा।।टेर।।

 

आदू धर्म आगली महमा,

सतगरू असंग जुगांरा।

सुर नर देव सभी आरोदे,

अवगत अपरम्‍पारा।।1।।

 

माया मोह का तीन बारणा,

चौथा धर्म द्वारा।

धर्म द्वार मारा सतगरू खोले,

सबकी निमावण हारा।।2।।

 

रेण दिवस का चार समीया,

चालीस बीस से न्‍यारा।

सन्‍ज्‍या मंजानी परा तरकाली,

सोवंग समाधी धारा।।3।।

 

कोइक साधू ओम सिंवरे,

कोइक साई अवतारा।

ओम सोम दोय अक्षर कहिये,

न अक्षर निराकारा।।4।।

 

दौलारामजी मने सतगरू मिलिया,

नाथ जी दिया विचारा।

छोगो लुहार शरण सतगरू की,

जीवत मुक्ति धारा।।5।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...