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हरि भज हरि भज हीरा परखले समझ पकड़ नर मजबूती hari bhaj hari bhaj heera parkh le samaj pakad

 

हरि भज हरि भज हीरा परखले,

समझ पकड़ नर मजबूती।

अष्‍ट कमल पर खेलो मेरे दाता,

और बातां सब झूठी।।टेर।।

 

घरहर घरहर मेहा बरसे,

सोहं सोहं क्‍या होती।

तरवेणी का रंग महल में,

हंसा चुग रिया निज मोती।।1।।

 

सत् समरण का सेल बणाले,

ढाल बणाले धीरज की।

काम क्रोध ने मार भगादे,

जद जाणू थारी रजपूती।।2।।

 

पांचों चोर बसे काया में,

जिनकी पकड़ो सिर चोटी।

पांचां ने मार पचीसा ने बश कर,

जद जाणू थारी बुध मोटी।।3।।

 

पकी धड़ी का ताल बणाले,

काण न राखे पाव रत्‍ती।

कहे मछन्‍दर सुण ले गोरख,

अलख लखे सो खरा जती।।4।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...