सोना लोहा के लागी लड़ाई,
आठ पोहर लड़ता रहता।
इतने में एक लकड़ा आया,
देखो लकड़ा क्या कहता।।टेर।।
कहवे लोहा सुण ले लोहा,
हमसे झगड़ा क्यो करता।
मेरे बनते एरण हथोड़े,
कूट कूट लम्बा करता।।1।।
कहवे सोना सुण ले लोहा,
मुझसे झगड़ा क्यो करता।
मेरे बनते मोर मुकुट,
भगवान के सिर पर मैं रहता।।2।।
कहवे लोहा सुण ले सोना,
भगवान के सिर पर तू रहता।
मेरे बनते ताला चाबी,
तुझके पहरा मैं देता।।3।।
कहवे सोना सुण ले लोहा,
मुझके पहरा तू देता।
मेरा बनते जेवर कुण्डल,
दुनिया में रूणझुण मू करता।।4।।
कहवे लोहा सुण ले सोना,
दुनिया में रूणझुण तू करता।
चार चोर थने ले भागेला,
आगे फौज में मैं लड़ता।।5।।
इतने में एक रूपया बोला,
थे दोनों भाई क्यो लड़ता।
तुम चाहो तो मोहर मंगादू,
थांकी खरीदी मैं करता।।6।।
इतने में एक लकड़ा बोला,
थे तीनों भाई क्यो लड़ता।
बाळ झाळ कर करूं कोयला,
तीनों की भस्मी करता।।7।।
बाळ झाळ कर करूं कोयला,
तीनों की भस्मी करता।
कहत कबीर सुणो भाई साधू,
तीनों को लकड़ा जीता।।8।।