मोह्या पकड़ ले जावे बान्दरो,
वांका कारज सारे।
बांदरो गणी फदांगा मारे।।टेर।।
मन माल्या पर बैठो बान्दरो,
ऊंचों नींचों नाळे।
सतगरू बिना पार नहीं जावे,
गाबल गाती मारे।।1।।
बचन खूंटा के बन्द्यो बान्दरो,
वांने गणी तरण आवे।
पट्या मांयू खोळी करे,
मन का कारज हारे।।2।।
अजब बाग में भल्यो बान्दरो,
दिल चाया फल खावे।
शुभ अशुभ दो डाळ कहिये,
वांने परा मारे।।3।।
पदमगरू परवाणी मल्या,
लाडूजी सेण बतावे।
गुजर गरीबो ‘कनीरामजी’ केवे,
बान्दरा ने बांध समझावे।।4।।