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हरदेवी हर मन भाई जाण सके तो जाण Hardevi har man bhai jaan sake to jaan bhajan lyrics

 

हरदेवी हर मन भाई,

जाण सके तो जाण।।टेर।।

 

विशालपुर के गांव का ,

सेठ स्‍थानक देव।

गज देवी की लाडली ,

करे हरि की सेव।

इकलौती है बाई।।1।।

 

गजदेवी माता भली ,

लीनी भगती धार।

बेटी हरदेवी ने भी,

पकड़ लिया आधार।

भगती करे चित लाई।।2।।

 

हरदेवी जब बड़ी हुई ,

दीना ब्‍याह रचाय।

चम्‍पकपुर के सेठ संग ,

दीना लेख लिखाय।

सब नाचे लोग लुगाई।।3।।

 

ब्‍याव के उस समय में ,

माता हुई बिमार।

बुखार आया जोर का ,

नहीं हुई त्‍यार।

गई पूजा भवन के मांई।।4।।

 

 

कहे सेठजी सुण सेठाणी ,

वेद बुलाऊ मोटा।

इलाज कराऊ इसी वक्‍त ,

घर में नहीं है टोटा।

कुछ धीरज धरो मन मांई।।5।।

 

हरदेवी को सीख दे दो ,

फिर छोडूंगी प्राण।

आया बुलावा श्‍याम का ,

जाण सके तो जाण।

फिर बेटी ने बुलवाई।।6।।

 

माता कहवे हरदेवी ने ,

हरि हरदय धर लेणा

श्‍याम गोपण्‍या लेजा साथे ,

पूजा पाठ कर लेणा।

माता बेटी ने समझाई।।7।।

 

हरदेवी ने मेली सासरे ,

मन माता के मांई।

गजदेवी ने प्राण छोड़ दिये ,

रोवे लोग लुगाई।

देखो कैसी आफत आई।।8।।

 

पति मिले हर्ष देवजी ,

ससुर मिले गुण देव।

सासू समलका तेज है ,

करे तीनों की सेव।

और हरि सेवा चित लाई।।9।।

 

डेड साल के मायने ,

ससुर गये परलोक ।

सासू का अब राज है,

 देवे लुल लुल धोक।

अब बेटा की चाले नाहीं।।10।।

 

बेटा को बस में किया ,

बहू को लगी सताने।

फाटे कपड़े सूखी रोट्या ,

बात बात पर ताने।

कभी मारे हाथ उठाई।।11।।

 

माय बाप तक गाळ्या देवे ,

आधी राखे भूखी।

घट्टी फेरे कपड़ा धोवे ,

फेर मारबा ढूकी।

सब सेहवे पराई जाई।।12।।

 

हर्षदेव कहे सुण लो प्‍यारी ,

कब तक दु:ख देखोली।

सासू से न्‍यारी हो जावो ,

कदी न बोले बोली।

चाला दूजा गांव के मांई।।13।।

 

माताजी मने दीदी शिक्षा ,

वांका वचन निभाऊ।

सासु ससुर की सेवा करणी ,

राधेश्‍याम गुण गाऊ।

मैं दु:खी नहीं मनमांई।।14।।

 

जूना जूना बरतन लेकर ,

दिया मांजबा तांई।

जिसमें देर लगी थी थोड़ी ,

सासू लड़बा आई।

आया हर्षदेव वहां भाई।।15।।

 

मां बेटा दोनों ही लड़ गये ,

बहू कुछ नहीं बोली।

हरदेवी पूजा घर में जा ,

श्‍याम सुन्‍दर से बोली।

मुझ पर कृपा करो रघुराई।।16।।

 

रो रो कर यूं कहे श्‍याम से ,

सुणजो बिणती मारी।

सासू को मन फेर दो ,

याही अरजी मारी।

मैं शरण तुम्‍हारी आई।।17।।

 

भगती देखी हरदेवी की ,

प्रगट हुए रघुराई।

दरसण देकर परसण कीना ,

जनम जनम सुख पाई।

सासू आई शरण के मांई।।18।।

 

तीनों जीव एक रंग भींजे ,

हरि की लीला न्‍यारी।

हरदेवी की भगती से ,

दुविद्या मिटगी सारी।

कहे भैरूलाल हर्षाई।।19।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...