आवो गवरी रा गणराज,
विनायक दुंद दुदियाला।
विनायक दुंद दुदियाला,
सिन्दुरिया सुंड सुडाला।।टेर।।
विश्वकर्मा ने विश्व रचाया,
पृथ्वी पर प्रथम पुजाया।
माया सकल मनावे आज।।१।।
सब बाट देवता जोवे,
थाने सिवरिया ही सिद्ध होवे।
होवे सकल मनोरथ काज।।२।।
ब्रह्मा वेद बखाणे वाणी,
थे तेतीसा अगवाणी।
राणी रिद्धि सिद्धि के सर ताज।।३।।
शुद्ध वाणी निकले मुह से,
''भैैैैरियो'' भगवान भरोसे।
थासे अर्ज करे महाराज।।४।।