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सन्‍ता सुर्त शब्‍द सूं लागी santa surt shabd su lagi durmat dar bhagi



सन्‍ता सुर्त शब्‍द सूं लागी,

सांसा छोड़ गोडीगे  पाया जब दुर्मत डर भागी।।टेर।।


सतगुरू सेल एन अवल्‍दी,

शब्‍द बताया सांगी।

हृदय हरी भली विध पाया,

बिन रसना ठहरागी।।१।।


हेत हथाई बिच हरिजन बेठा,

सिमरण करे सुआगी।

पी प्रेम प्‍याला होय मतवाला,

कलह कल्‍पना त्‍यागी।।२।।


शब्‍द लाभ भये नाभि निरखत,

मिले पवन मिल पागी।

उलटी गंगा बक ब्रह्माण्‍ड में,

सुरत सुन्‍दरी जागी।।३।।


इड़ा पिंगला सुखमण सजे,

सुखम सेज धुन लागी।

रहता पुरूष रूप बिन रमता,

अटल रहे अणरागी।।४।।


दाता तणां दिवाला देख्‍या,

र‍वीचंद्र भया चिरागी।

जो ब्रह्म कर्म सूं न्‍यारा,

निरंतर अधर सधर सो सागी।।५।।


सायर सीर अथंग किण थाग्‍या,

पी पंछी तिस भागी।

कह लिखमो देखी ज्‍यू दाखी,

अगम गुरू री गम आगी।।६।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...