सभा में मोरी करिये वो नाथ सहाई,
करिये वो नाथ सहाई ।।टेर।।
कांधे कुलहाड़ी बगल करौती,
बनकर आयो किसनो खाती।
जोड़ धरी गाड़ी के पाती,
बन बिच हुई सहाई ।।1।।
धन्ना भगत ने खेती बोई,
बिना बीज हरि कैसे होई।
साधू सन्तो के बणी रसोई,
तूम्बी नाज भराई ।।2।।
घर द्वारेे भीलणी के आये,
जरा शरम मन में नही लाये।
मीठे फल रुच रुच कर खाये,
आप बड़े यदुराई ।।3।।
अलीबक्स चरणां को चेरो,
तुम बिन और न कोई मेरो।
कहे ''गोविन्द'' आसरो तेरो,
चरणन में लिपटाई ।।4।।