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मन रे राम धाम के माही जहां तक समझो वहां तक रामा man re Ram dham ke mahi jaha tak samjo vaha tak Rama

 

मन रे राम धाम के माही।

जहां तक समझो वहां तक रामा,

सतगरू भेद बताई।।टेर।।

 

गंगा गोमती बद्री कैलाशा,

सब तीरथ करले भाई।

तीरथ बरत समझ बिन झूठा,

भटक भटक मर जाई।।1।।

 

तेरा राम तुझ में मिलसी,

सतसंग करले भाई।

सतगरू कहे सो समझो हृदय,

अंग संग बतलाई।।2।।

 

मेरा राम मुझ में बोले,

वह सब घट के माही।

पीव संग समझे वो परणी,

कंवारी ने गम नाही।।3।।

 

गोकलदास जी सतगरू देवा,

सो मेरे मन भाई।

लादूदास आस इश्‍वर की,

समझे गुरू मुख ज्‍योही।।4।।

मन रे गरू वकील बण आवे लख चोरासी का कागज फाड़े man re guru vakil ban aave lakh chorasi ka kagaj fade

 

मन रे गरू वकील बण आवे।

लख चोरासी का कागज फाड़े,

मुकदमा जितावे।।टेर।।

 

कुकर्म जो खोटा अपना कहिये,

जा गरूदेव ने सुणावे।

जब कृपा हुई सतगुरू की,

सभी गुनाह बख्‍सावे।।1।।

 

चोर चोरी नहीं प्रकटे,

जम आपू प्रकटावे।

धर्मराज सब खाता खोले,

हाकम न्‍याव सुनावे।।2।।

 

सतसंग कचेड़ी कट जावे बेड़ी,

संत यूं साखा भरावे।

देवे नेम,टेम से पालो,

यो डाव फेर नहीं आवे।।3।।

 

गोकल स्‍वामी अन्‍तरयामी,

भिन्‍न भिन्‍न कह समझावे।

लादूदास आस सतगुरू की,

भव जल पार लगावे।।4।।

मन रे जप ले जाप गुरां को परा पछन्‍ती मदा बेखरी man re jap le jaap gura ko para pachanti mada bekhari

 

मन रे जप ले जाप गुरां को,

परा पछन्‍ती मदा बेखरी,

चारू भेद उरा को।।टेर।।

 

परा बोले उरा डोले,

कट्या नहीं दु:ख जमड़ा को।

हरख शोक ममता में रोवे,

यो तो काम अडा को।।1।।

 

मान बड़ाई गुरू दुराई,

होवे नहीं कल्‍याण अतरा को।

सोजी नहीं उठा की बात उठा की,

ओ तो काम नरगा को।।2।।

 

जात बिगाड़े जुगती ताई,

हर लेवे धन धणिया को।

स्‍वारत में बोले परमारत,

नहीं खोले ओ काम ठगां को।।3।।

 

सतगरू दाता सेण बताई,

धर ध्‍यान नित वांको।

जाग्रत स्‍वप्‍न सुकोपति आगे,

तुरिया पद वांको।।4।।

 

गोकल स्‍वामी दिया नाम अनामी,

सर्यो काम गणां को।

लादूदास लगन से बेरागी,

गृहस्‍थी धरम पाको।।5।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...