बंगला अजब बनाया महाराज,
जिसमें नारायण बोले।।टेर।।
नारायण बोले उसी में परमेश्वर बोले।।टेर।।
इण बंगला में दस दरवाजा,
बीच पवन का खम्भा।
आवत जावत कुछ नहीं दीखे,
यही बड़ा अचम्भा।।1।।
तीन गुणा की ईंट बणाई,
पांच तत्व का घारा।
राम नाम की छात छवाई,
चेतन हो चेजारा।।2।।
इस बंगले में चार बुरुज है,
बहत्तर बणा कंगूरा।
तीन सो साठ चुणावत लागा,
जमी हुई चौफेरा।।3।।
इस बंगले में सुरता नाचे,
मनवा ताल बजावे।
सुरत नुरत का बज रिया बाजा,
राग छतीसूं गावे।।4।।
इस बंगले में चोपड़ मडिया,
खेले पांच पचीसूं।
कोइक बाजी हार चलाजी,
कोइक बाजी जीता।।5।।
इन नैना नाराण देखे,
सुरता राम से लागे।
कहत कबीर सुणो भाई साधू,
दिल की दबद्या भागे।।6।।