हीरा रा बोपारीया,
हीरा जोयने लीजे माणक परख ने लीजे।।टेर।।
नाभ कंवल नेजा रोपियो,
नटणी भरत चढ़े।
उंची चढ़ने जोबियो,
कांई कांई नृत्य करे।।1।।
आमी सामी हाटड़ी,
मांय बैठा बीणज करे।
तन तोला मन ताकड़ी,
तोल्यां खबर पड़े।।2।।
हित चित री दोय बडिया,
मिर्गो अजब चरे।
बाण बतीसा साधियो,
मिर्गो खटयूं मरे।।3।।
घण घावडिया घूम रह्या,
धण री चोट पड़े।
पांच पचीस पारखूं ,
हीराे एरण चढ़े।।4।।
एक वचन रे कारणे,
हीरा मिलिया हीर।
वचन गहे सो नर उबरे,
यूं कहे ''लिखमो'' पीर।।5।।