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भगती पाकी रे गुरांसा की बाणी हरदे राखी रे bhakti paki re gurasa ki bani harde rakhi re

 

भगती पाकी रे,

गुरांसा की बाणी हरदे राखी रे।।टेर।।

 

धार गरीबी गरभ न राख्‍यो,

छोड़ जगत की ना‍की रे।

सब का गुण चुण करके,

ओगण दीना ढाकी रे।।1।।

 

नारी जात मात कर जाणी,

कुदृष्टि नहीं ताकी रे।

निशदिन कियो अभ्‍यास,

इन्द्रिया आखिर थाकी रे।।2।।

आशा तृष्‍णा मेटी मन की,

मार्यो लोभ बड़ो डाकी रे।

संत जणा की संगत करता,

रही नहीं बांकी रे।।3।।

 

त्रिलोकी थने दर्शण दीदा,

रूप बणकर खाकी रे।

गोपेश्‍वर की मुक्ति कीदी,

सांची भाकी रे।।4।।

अवसर आयो रे भूल्‍योड़ा भव मे कइ भरमायो रे avsar aayo re bhulyoda bhav me kai bharmayo re

अवसर आयो रे भूल्‍योड़ा भव में,

कइ भरमायो रे।।टेर।।

 

सुत नारी का सोच फिकर में,

बहुत ही तनड़ो तायो रे।

घर धंधा के माये पलक भर,

सुख नहीं पायो रे।।1।।

 

झूठ कपट कर जालसाजी से,

पैसो खूब कमायो रे।

जग की शोभा माये मूरख थे,

गणो गमायो रे।।2।।

 

धर्म विद्या स्‍कूल न खोली,

न सर कूप खुदायो रे।

खेल तमाशा गणो गियो,

नहीं तीरथ नायो रे।।3।।

 

धरती ने थे बोज्‍या मारी,

का थारी जरणी जायो रे।

साधू संत की नन्‍द्या करता,

जनम गमायो रे।।4।।

 

बिन सतगरू थू नरका जासी,

जां नहीं मलसी ठायो रे।

चोरासी से बचणो वे तो,

तज जग दायो रे।।5।।

 

तेरो साथी कोई नहीं जग में,

कां लागे बहकायो रे।

मुंगी मनका देह,

कहे गोपेश्‍वर गायो रे।।6।।


जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...