अवसर आयो रे भूल्‍योड़ा भव मे कइ भरमायो रे avsar aayo re bhulyoda bhav me kai bharmayo re

अवसर आयो रे भूल्‍योड़ा भव में,

कइ भरमायो रे।।टेर।।

 

सुत नारी का सोच फिकर में,

बहुत ही तनड़ो तायो रे।

घर धंधा के माये पलक भर,

सुख नहीं पायो रे।।1।।

 

झूठ कपट कर जालसाजी से,

पैसो खूब कमायो रे।

जग की शोभा माये मूरख थे,

गणो गमायो रे।।2।।

 

धर्म विद्या स्‍कूल न खोली,

न सर कूप खुदायो रे।

खेल तमाशा गणो गियो,

नहीं तीरथ नायो रे।।3।।

 

धरती ने थे बोज्‍या मारी,

का थारी जरणी जायो रे।

साधू संत की नन्‍द्या करता,

जनम गमायो रे।।4।।

 

बिन सतगरू थू नरका जासी,

जां नहीं मलसी ठायो रे।

चोरासी से बचणो वे तो,

तज जग दायो रे।।5।।

 

तेरो साथी कोई नहीं जग में,

कां लागे बहकायो रे।

मुंगी मनका देह,

कहे गोपेश्‍वर गायो रे।।6।।


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