माथे गाजे रे या काल फोज की जान बणाजे रे mathe gaje ya kal foj ki jaan banaje re

पूरव जनम की पाई सम्‍पदा,

खाई ने मती खुटाजे रे।

राम नाम का लाग लेकर,

सुख पाजे रे।।1।।

 

माथे गाजे रे,

या काल फोज की जान बणाजे रे।।टेर।।

 

सत संगत में प्राणी रे थू,

दोड्यो दोड्यो आजे रे।

साथीड़ा गरू भाया ने थू,

लारा लाजे रे।।2।।

 

भरी जवानी माये रे,

मत मूंछा बण्‍ट लगाजे रे।

अरजुण भीम जस्‍या नर हेग्‍या,

करता ने साजे रे।।3।।

 

फागण माये गेर्यो बणकर,

डफला मती बजाजे रे।

भूंडा भूंडा बोल मुख से,

मती सुणाज्‍ये रे।।4।।

 

गधा की असवारी कर,

मत झाडू को चंवर ढुलाजे रे।

पाणी माये धूल मला,

मत कादो उडाजे रे।।5।।

 

पर नारी वेश्‍या के संग थू,

भूल चूक मत जाजे रे।

दारूड़ी ने बुरी जाण,

मत पीजे पिलाजे रे।।6।।

 

अमल तमाकू दारूड़ी रा,

पूरा परण निभाजे रे।

गरू प्रताप चौथमल केवे,

हरिगुण गाजे रे।।7।।

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