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हद लारा हद लाया हुनर हद लाया had lara had laaya hunar had laaya



हद लारा हद लाया हुनर हद लाया, 

खालक खूब  खलक मिल बाजी, हद लाया।।टेर।।


माया मन्‍तर त्रिगुण का,जुगत कर जाेेड़ अखाड़ा जमाया।

पांच पचीसांं रामत मार्या,विध विध बाजी लाया।

भर्म भूलाय लखे कुण तांहि,तान ऐसी लाया।।1।।


बन्‍दा मोह माया का साथ,रमे बिन राती।

भर्म का खेल,नित निज महल खेल होय खेले।

जगत जब ठगाया, वो तो बाजीगर कीरतार,

रमे संग लार पायो नहीं पार।

जोह्यो ज्‍यांही त्‍यार, अपर छन्‍दगाया।।2।।


हरि नट का खट खेल, ठटियो जिन ठाट।

नृत्‍य करे नारि, करे हट चाल, कहुं हुनर हद लाया।

वो तो अधर वरत रह्यो लोट भर्म की ओट शब्‍द संग होय।

सिखर चढ़ जोय, तारू तहां होय, निरत बिरला हद पाया।।3।।


तू जालम बालम नटनी को,सब घट तेरो ख्‍याल, लाल प्रतिपाल।

प्रगट तूंही गुप्‍त, नेक नहीं लिप्‍त, कहुं कहां छिपत सन्‍त जनरी भया।

''लिखमा'' लखे ओ तान, छोड़ अभिमान प्रेम के पान।

जोया ज्‍यूं ही जान, सांयत कर सुख पाया।।4।।  



 

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...