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दोहा लिखमा जी माली doha likhama ram ji

::दोहा::

स्‍वांस स्‍वांस में साधलो, 

निगे करो निज नांव।

भजन भूलि भोन्‍दू फिरे, 

लिखमा चौरासी रा ठांव।।1।।


राम नाम लेता रहो, 

गुरू दिया विश्‍वास।

भवसागर को भय मिट्यो, 

कहवे लिखमीदास।।2।।


राम नाम निज धार के, 

मन राखो विश्‍वास।

भवसागर से जे तिरे, 

कहे बन मालीदास।।3।।


राम नाम सदा लेते रहो, 

स्‍वासो स्‍वास लिव ल्‍याय।

कह लिखमा निज नांव से, 

बेड़ो पार लग जाय।।4।।


::दोहा::

मन चंचल मन लालची,

मन होय राव अरू रंक।

जब लगी मन हरि सूं मिले,

हरि मिलेंगे निसंक।।1।।


मन मारग हाले नहीं,

उजड़ दोड्यो जाय।

कह लिखमो फिर,

हरि यो कैसे मिलसी आय।।2।।


मनवा तो सब जानत,

औगुन करे हजार।

जान बुझ औगुन करे,

कैसे मिले करतार।।3।।


मन पीछे न चालिए,

मन है एक प्रहार।

कह लिखमो गुरूकृपा से,

हुवा मन पर अस्‍वार।।4।।


 

 

दोहा लिखमा जी doha likhamaji mali

:::दोहा:::


नीवण बिन एक नीवण,

गुरू नीवण कर जोड़।

निवणज देवी शारदा,

भूल्‍या देवे जोड़।।1।।


रामां थे अजमालरा,

मती आप रे मोजी।

काेेेेढिया रा कलंक झाड़ बापजी,

दो भूखा ने रोजी।।2।।


जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...