नबजिया वेद क्या देखे,
मुझे दिल की बिमारी है
।।टेर।।
कभी कफ रोग बतलावे,
कभी तासीर गर्मी की ।
जिगर का हाल तू मेरा,
तू नहीं जाणे अनाड़ी है
।।1।।
सनम की मोहनी मूरत,
बसी दिल बिच में मेरे ।
न दिल में चैन है तन की,
खबर सारी बिसारी है ।।2।।
असर करती नहीं कोई,
दवाई कीमिया तेरी ।
बिना दीदार गुरू के,
मिटे ना बेकरारी है ।।3।।
अगर दिलदार को मेरे,
मिलादे आज तू मुझ को ।
वो ब्रह्मानन्द गुण तेरा,
करूं मैं यादगारी है ।।4।।