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नबजिया वेद क्‍या देखे मुझे दिल की बिमारी है nabjiya ved kya dekhe mujhe dil ki bimari hai


नबजिया वेद क्‍या देखे,

मुझे दिल की बिमारी है ।।टेर।।

 

कभी कफ रोग बतलावे,

कभी तासीर गर्मी की ।

जिगर का हाल तू मेरा,

तू नहीं जाणे अनाड़ी है ।।1।।

 

सनम की मोहनी मूरत,

बसी दिल बिच में मेरे ।

न दिल में चैन है तन की,

खबर सारी बिसारी है ।।2।।

 

असर करती नहीं कोई,

दवाई कीमिया तेरी ।

बिना दीदार गुरू के,

मिटे ना बेकरारी है ।।3।।

 

अगर दिलदार को मेरे,

मिलादे आज तू मुझ को ।

वो ब्रह्मानन्‍द गुण तेरा,

करूं मैं यादगारी है ।।4।।

जल ज‌इयो जिह्वा पापनी राम के नाम बिना रे JAL JAIYO JIVHA PAPNI RAM KE NAAM BINA RE

राम के नाम बिना रे मूरख  राम के नाम बिना रे, जल ज‌इयो जिह्वा पापनी, राम के नाम बिना रे ।।टेर।। क्षत्रिय आन बिना, विप्र ज्ञाण बिना, भोजन मान ...