ब्रह्मा विष्णु महादेव विष्णु,
पीर औतार भी कह गया है।
परवाण्या में भक्त हिया,
करोड़ा का सागर लेग्या है।।टेर।।
आकाशवाणी अलख निशाणी,
वे भी शाखा देग्या है।
जोग बभेषण ने बांच देखलो,
लज्या धर्म ने सराग्या है।।1।।
अलख निरंजन ज्योति स्वरूपी,
वे भी शाखा देग्या है।
सत् धर्म ने बांच देखलो,
लज्या धर्म ने सराग्या है।।2।।
आद शक्ति हिंगलाज माई,
वे भी शाखा देग्या है।
नाग केश ने बांच देखलो,
लज्या धर्म ने सराग्या है।।3।।
बास्टमुनि जी उदेरख राजा,
वे भी शाखा देग्या है।
सप्त प्रदाजी ने बांच देखलो,
लज्या धर्म ने सराग्या है।।4।।
माता कुन्ता पांचू पांडू,
वे भी शाखा देग्या है।
गीताजी ने बांच देखलो,
लज्या धर्म ने सराग्या है।।5।।
रामा लक्ष्मण सीता माई,
वे भी शाखा देग्या है।
रामायण ने बांच देखलो,
लज्या धर्म ने सराग्या है।।6।।
गढ़ मथरा में कंवर कानजी,
वे भी शाखा देग्या है।
गर्भ गीता ने बांच देखलो,
लज्या धर्म ने सराग्या है।।7।।
उदेरखजी पीपलदे राणी,
वे भी शाखा देग्या है।
ग्यारा का परदा ने बांच देखलो,
लज्या धर्म ने सराग्या है।।8।।
कलजुग माये कंवर रामदे,
वे भी शाखा देग्या है।
परवाणा ने बांच देखलो,
लज्या धर्म ने सराग्या है।।9।।
गोरख कबीर और संत आगला,
वे भी शाखा देग्या है।
भगतमाल ने बांच देखलो,
लज्या धर्म ने सराग्या है।।10।।
1211 पंथ में पंथ आगला,
आजकाल गणा हेग्या है।
शाखा बना खत नहीं चाले,
कहो शाखा कुण देग्या है।।11।।
पदमगरू परवाणी मलग्या,
लाडुजी सेण बताया है।
गुजर गरीबो ‘कनीरामजी’ केवे,
शाखा में शाख मलग्या है।।12।।